सक्ती। क्षेत्र के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल तुर्रीधाम में महाशिवरात्रि पर सुबह 4 बजे से जलाभिषेक का सिलसिला शुरू होगा, जो आधी रात तक चलता रहेगा। इस दौरान दिनभर श्रद्धालु बेलपत्र, धतूरा फल, नारियल शिवलिंग पर अर्पित करेंगे, वही रात्रि में भजन-कीर्तन भी किया जाएगा और मंदिर परिसर दिन भर हर-हर महादेव और बोल बम के जयघोष से गुंजायमान होता रहेगा। इस बार तुर्रीधाम में 1 टन फूलों से बाबा के गर्भगृह, शिखर एवं दरबार को सजाया गया है।
कांवरियों द्वारा बगबुड़वा नाला से जल भरकर पदयात्रा कर मंदिर पहुंचकर जलाभिषेक किया जाएगा। तुर्रीधाम में महाशिवरात्रि के अवसर पर मेले का भी आयोजन किया गया है। मेले में टूरिंग टाकिज, झूले, होटल सौंदर्य प्रसाधन की दुकानें लगाई जाएंगी।
इस मेले में प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि के अवसर पर आसपास के दर्जनों गावों के ग्रामीण बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं। इस मंदिर में लोग अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए दूर-दूर से लोट मारते हुए इस बार भी पहुंचेंगे। उल्लेखनीय है कि तुर्रीधाम स्थित शिव मंदिर में शिव लिंग के ऊपर से हमेशा जल की धारा निकलती है, इसलिए इस गांव का नाम तुर्री पड़ा है। शिवालयों में जल चढ़ाने बड़ी संख्या में श्रद्धालु कांवर लिए बोल बम और हर-हर महादेव के जयघोष के साथ पैदल यात्रा कर शिवलिंग में जल चढ़ाकर मनौती मांगते हैं।
गौरतलब रहे कि तुर्रीधाम के नाम से जाना जाने वाला यह मंदिर भगवान शिव का है। प्रत्येक वर्ष महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां तीन दिनों का मेला आयोजित किया जाता है। तुर्रीधाम सक्ती रेलवे स्टेशन से लगभग 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। देश में ऐसे अनेक ज्योतिर्लिंग हैं जहां दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। भक्तों में असीम श्रद्धा भी देखी जाती है।
सावन के महीने में शिव मंदिरों की महिमा और ज्यादा बढ़ जाती है,क्योंकि इस माह जो भी मन्नतें सच्चे मन से मांगी जाती है ऐसी मान्यता है वह पूरी होती हैं। लोगों में भगवान के प्रति अगाध आस्था ही है जहां हजारों-लाखों की भीड़ खींची चली आती है। ऐसा ही एक स्थान है तुर्रीधाम, जो ग्राम तुर्री में स्थित है। यहां भगवान शिव का एक ऐसा मंदिर है जहां पहाड़ का सीना चीर अनवरत जलधारा बहती रहती है।
खास बात यह है कि यह जलधारा कहां से बह रही है, अब तक पता नहीं चल सका है। आज भी यह शोध का विषय बना हुआ है कि आखिर पहाड़ी क्षेत्रों से पानी का ऐसा स्त्रोत कहां से है, जहां हर समय पानी की धार बहती रहती है। इस धाम की विशेषता दिलचस्प बात यह है कि बरसात में जलधारा का बहाव कम हो जाता है वहीं गर्मी में जब हर कहीं सूखे की मार होती है, उस दौरान जलधारा में पानी का बहाव बढ़ जाता है।
इसके अलावा जलधारा के पानी की खासियत यह भी है कि यह जल बरसों तक खराब नहीं होता। यहां के रहवासियों की मानें तो 100 साल बाद भी जल दूषित नहीं होता। यही कारण है कि तुर्रीधाम के इस जल को ”गंगाजल” के समान पवित्र माना जाता है और जल को लोग अपने घर ले जाने के लिए लालायित रहते हैं।