सक्ती। कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों की तर्ज पर श्री सिद्ध हनुमान मंदिर परिवार सक्ती ने जनसहयोग से सक्ती के सार्वजनिक मुक्तिधाम को नया स्वरूप देने की मुहिम प्रारंभ की। मुक्तिधाम का नाम सुनते ही इंसान के दिलोदिमाग में राख, धूल, टेढ़े-मेढे लोहे के एंगल, काला टीन या इधर-उधर बिखरे कपड़े आदि की तस्वीर छा जाती है। कुछ हद तक कईं स्थानों पर यही स्थिति देखने को मिलती है। सक्ती के सार्वजनिक मुक्तिधाम की दुर्दशा देख श्री सिद्ध हनुमान मंदिर परिवार के सदस्यों का मन व्यथित हो उठा और उन्होंने इसके कायाकल्प का बीड़ा उठाया। फिर क्या था उनके इस छोटे से प्रयास को बड़ी सफलता मिली। अपना अधिक से अधिक समय उन्होंने सजाने-सँवारने में लगा दिया। जिसके फलस्वरूप आज यह मुक्तिधाम नए रूप में हमारे सामने है।
इस मुक्तिधाम में विगत कई वर्षो से अव्यवस्था का आलम था, जिसे देखते हुए जनसहयोग से सुविधाएं जुटाए जाने की मुहिम चलाई गई, वहीं इसके कायाकल्प के लिए सक्ती के दानदाताओं ने भी दिल खोलकर दान दिया और देखते ही देखते दानदाताओं द्वारा निर्माण कार्य में उपयोग होने वाली सामग्री सहयोग राशि के रूप में देने का सिलसिला शुरू हो गया। जीरा गिट्टी, वाल पेंट, स्नो सेम, बिरला वाईट सीमेंट, ऑयल पेंट, एलईडी लाईट स्ट्रीट लाईट, सीमेंट की कुर्सियां, गमला आदि सभी के सहयोग राशि प्राप्त हुआ है।
विदित रहे कि इसके पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष श्यामसुंदर अग्रवाल ने सक्ती के सार्वजनिक मुक्तिधाम का निरीक्षण भी किया था और श्री सिद्ध हनुमान मंदिर परिवार द्वारा यहां कराये जा रहे जनहित व विकास कार्यों को देखकर वे गद्गद् हो गए, जिसके बाद उन्होंने श्री सिद्ध हनुमान मंदिर के इस सराहनीय प्रयास की मुक्तंकठ से प्रशंसा करते हुए हरसंभव सहयोग प्रदान करने की बात कही थी। उल्लेखनीय है कि श्री सिद्ध हनुमान मंदिर परिवार सक्ती ने सार्वजनिक मुक्तिधाम को सजाने संवारने समेत वहां जनहित व विकास कार्यों का जिस तरह बीड़ा उठाते हुए साफ-सफाई और रंग रोगन के काम में तेजी लाई है उससे मुक्तिधाम का रंग ही निखर गया है।