प्रतीक खेमुका का आरोप -षडयंत्रपूर्वक कूटरचना कर हुई थी कार्रवाई….आखिर किसके इशारे पर किया गया था निलंबन?
सक्ती। कलेक्टर के आदेश का पालन करते हुए विधिपूर्वक रजिस्ट्री करने वाले उप पंजीयक पर निलंबन की गाज गिराये जाने के बाद पुन: उनकी बहाली कर दी गई है। बिलासपुर संभागायुक्त द्वारा आदिवासी डायवर्टेड जमीन की रजिस्ट्री के मामले की गहराई से छानबीन किए जाने के बजाय जहां तत्कालीन सक्ती उप पंजीयक को दोषी मानकर निलंबन का झुनझुना थमा दिया था, वहीं कार्रवाई के विरोध में लामबंद हुए रजिस्ट्रार संगठन द्वारा अनिश्चितकालीन हड़ताल के ऐलान के बाद बढ़ते दबाव के बीच नियम विरूद्ध निलंबन की कार्यवाही पर लीपापोती करते हुए इस फैसले को पलटना पड़ा। आखिरकार न्याय की जीत हुई और तत्कालीन सब रजिस्ट्रार को उप पंजीयक बिलासपुर के पद पर बहाल कर दिया गया है। उनकी बहाली किए जाने से छत्तीसगढ़ पंजीयन एवं मुद्रांक संघ के सदस्यों ने हर्ष व्यक्त किया है।
प्रतीक खेमुका ने बताया कि उन्होंने कलेक्टर के आदेश के अनुसार विधि नियमों से शासन के नियम के अनुसार रजिस्ट्री की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि किसी के दबाव में आकर उनके विरूद्ध नियम विरुद्ध कार्यवाही की गई है, जिसके खिलाफ पूरे रजिस्ट्रार संघ ने उनका साथ दिया और बहाल न करने की स्थिति में अनिश्चित कालीन हड़ताल करने का फैसला लिया था जिसे देखते हुए प्रशासन हरकत में आया और अंतत: न्याय की जीत हुई।
छत्तीसगढ़ पंजीयन एवं मुद्रांक संघ रायपुर प्रांताध्यक्ष विरेन्द्र कुमार श्रीवास ने बताया कि निलंबन के मामले में मंत्री ओपी चौधरी की संवेदनशीलता एवं न्यायशीलता के फलस्वरुप महानिरीक्षक पंजीयन द्वारा विधि सम्मत कार्रवाई करते हुए निलंबन आदेश को रद्द कर उप पंजीयक प्रतीक खेमुका को बहाल किए जाने के बाद छत्तीसगढ़ पंजीयन मुद्रांक संघ ने उनका आभार व्यक्त किया है।
सक्ती के तत्कालीन उप पंजीयक एवं वर्तमान बिलासपुर उप पंजीयक प्रतीक खेमुका ने एक आदिवासी डायवर्टेड भूमि की रजिस्ट्री कलेक्टर के लिखित आदेश के बाद कर दी थी। कलेक्टर ने यह लिखकर दिया था कि डायवर्टेड भूमि के मामले में अनुमति की जरूरत नहीं होती है। डायवर्टेड भूमि के मामले में धारा 165 (6) लागू नहीं होता है। उप पंजीयक ने कलेक्टर के आदेश के आधार पर रजिस्ट्री तो कर दी, परंतु संभागायुक्त महादेव कावरे ने उप पंजीयक को निलंबित कर दिया। जबकि राज्य भर में डायवर्टेड जमीन का बिना कलेक्टर की अनुमति के रजिस्ट्री की जाती है और ऐसा करने के लिए स्वयं कलेक्टर ही आदेश पारित करते हैं। उक्त मामले में भी ऐसा ही हुआ। प्रतीक खेमुका को निलंबित कर दिए के बाद छग पंजीयन एवं मुद्रांक कार्यपालिक अधिकारी-कर्मचारी कल्याण संघ ने इसकी कड़ी निंदा करते हुए मोर्चा खोल दिया और सोमवार से पूर्व निलंबन वापसी की मांग करते हुए सामूहिक अवकाश पर जाने का भी अल्टीमेटम दिया था, क्योंकि उप पंजीयक द्वारा इस रजिस्ट्री में किसी भी रजिस्ट्री नियम या स्टाम्प नियम का उल्लंघन नहीं किया गया था।
छग पंजीयन एवं मुद्रांक कार्यपालिक अधिकारी-कर्मचारी कल्याण संघ के मुताबिक राज्य भर में अनेक आवेदन डायवर्टेड आदिवासी भूमि के बिक्री के अनुमति के लिए लगता है, तो कलेक्टर ही लिख कर देते हैं कि इसमें अनुमति की आवश्यकता नहीं है। क्या सरकार इन सभी कलेक्टर को भी सस्पेंड करेगी। उप पंजीयक ने अपने पदीय कर्तव्यों का विधि पूर्वक निर्वहन किया था। आयुक्त बिलासपुर द्वारा उप पंजीयक को निलंबन के पूर्व कोई सुनवाई का मौका भी नहीं दिया गया था। संघ के मुताबिक आयुक्त बिलासपुर का निलंबन आदेश एक कर्तव्य निष्ठ शासकीय अधिकारी को हतोत्साहित, प्रताडि़त और भयभीत करने जैसा था।