मालखरौदा, डभरा व जैजैपुर बीएमओ के खिलाफ चिकित्सकों व फीर्ल्ड वर्करों ने खोला मोर्चा, किया कामबंद करने का ऐलान
सक्ती। जिला मुख्यालय स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी का कहर अभी थमा भी नहीं था, वहीं मालखरौदा व डभरा ब्लाक के बीएमओ की कार्यशैली से असंतुष्ट चिकित्सकों एवं फील्ड वर्करों के काम बंद करने के ऐलान से सरकार के स्वास्थ्य मिशन को जो ठेंस पहुंची है, उसकी पीड़ा का आंकलन इन स्वास्थ्य केंद्रों में दाखिल मरीजों की हालत को देखकर लगाया जा सकता है। हालात चाहे जो भी हों, चिकित्सकों की नाराजगी और बीएमओ की विपरीत कार्यशैली से मरीजों का समुचित उपचार होना तो दूर की कौड़ी साबित हो रही है, इलाज के नाम पर केवल मरीजों के जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार सक्ती जिला मुख्यालय के चारों ब्लॉक मालखरौदा, जैजैपुर, डभरा और सक्ती में विकासखंड चिकित्सा अधिकारी (बीएमओ) के प्रभार लगातार बदलते रहे हैं। बताया जाता है कि इन स्वास्थ्य केंद्रों में ड्यूटी में तैनात फील्ड कर्मचारियों और चिकित्सकों की बीएमओ से ठन गई है। हम बात कर रहे हैं मालखरौदा बीएमओ डॉ संतोष पटेल और डभरा विकासखंड बीएमओ डॉ राजेंद्र पटेल की, जिनकी विपरीत कार्यशैली से परेशान होकर यहां सेवा दे रहे चिकित्सकों ने काम बंद करने का ऐलान कर दिया है। कमोबेश ऐसा ही हाल जैजैपुर ब्लाक में भी है, जहां नवपदस्थ बीएमओ डॉ. संतोष पटेल को प्रभार नहीं दिए जाने और पूर्व बीएमओ डॉ. उमाशंकर साहू को पद पर बरकरार रखने फील्ड कर्मचारियों ने मांग रखी है।
बताया जाता है कि उक्त ब्लॉक के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में परेशान होकर चिकित्सकों एवं फीर्ल्ड वर्करों ने मोर्चा खोल दिया है। ज्ञापन सौंपकर पदस्थ बीएमओ को हटाए जाने तथा काम बंद करने का ऐलान कर दिया है। यदि समय रहते इस समस्या का हल नहीं निकाला गया तो इसका कहर उन मरीजों पर टूटेगा जो इस उम्मीद के साथ इन अस्पतालों में पहुंचते हैं कि शासकीय अस्पतालों में स्थिति पहले से बेहतर है और अच्छा उपचार होता है।
विदित रहे कि नेता प्रतिपक्ष एवं सक्ती विधायक डॉ. चरणदास महंत के नेतृत्व में किए गए ठोस प्रयास के बाद सक्ती जिले का गठन हुआ, वहीं तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष श्री महंत ने इस जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं की दिशा में सकारात्मक पहल करते हुए यहां विशेषज्ञ चिकित्सकों की पदस्थापना भी कराई थी, जिसका स्वास्थ्य लाभ वर्षों तक नगर के मरीजों को मिलता रहा है, परंतु हालात अब बदल गए हैं और बीएमओ तथा चिकित्सकों के आपसी खींचतान से यहां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में इलाज कराने पहुंच रहे मरीजों के इलाज की दशा और दिशा भी बदलना स्वाभाविक है, वहीं प्रधानमंत्री मोदी के स्वास्थ्य मिशन को अमलीजामा पहनाने के बजाय अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारी मरीजों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने से बाज नहीं आ रहे हैं। राष्ट्रीय कार्यक्रमों की प्रगति की स्थिति भी धीमी हो चली है। जिले के सीएमएचओ डॉ कृपाल सिंह कंवर ने भी मामले में चुप्पी साध ली है। सूत्रों की माने तो जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत कार्यरत एक संविदा प्रोग्रामर के मन मुताबिक संचालित हो रही है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में पसरी गंदगी, संक्रामक बीमारियों का बढ़ा खतरा
नगर के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र परिसर में प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत अभियान की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। अस्पताल में बीमार लोगों का इलाज होता है। वहां साफ सफाई और स्वच्छ वातावरण लोगों को मिलता है जिससे कि बीमार दवाओं और स्वच्छ वातावरण में जल्दी स्वस्थ हों पर नगर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इससे ठीक उलटा देखने को मिल रहा है।
आलम यह है कि मरीजों के भर्ती वार्ड के पास ही कचरे और गंदगी के ढेर लगे हुए हैं। इसके चलते वार्ड में भर्ती मरीज और उनके परिजनों को पास में पड़े कचरे और गंदगी से आने वाली बदबू के कारण वार्ड में बैठना दूभर हो रहा है। अस्पताल से निकलने वाला कचरा और गंदगी वार्ड के पास हफ्तों तक पड़ी रहती है। इस कारण मरीजों और उनके परिजनों को अन्य संक्रामक बीमारियों का भी खतरा बना रहता है।