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जांजगीर व सक्ती जिले के सभी विकासखण्डों से महिला शिक्षिकाओं ने निभाई सहभागिता
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अब होगा संकुल व स्कूल स्तर पर प्रशिक्षण
Shakti. माताओं को जोड़कर बच्चों को घर पर पढ़ाई सीखने में सहयोग देने के लिए ‘अंगना म शिक्षा‘ कार्यक्रम के तहत 4 जनवरी गुरूवार को बिलासपुर में संभाग स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें जांजगीर व सक्ती जिले के सभी विकासखण्डों से दो-दो प्राथमिक शालाओं से महिला शिक्षिकाओं ने सहभागिता किया इनमें नवागढ़ ब्लाक से श्रीमती सत्या सूर्यवंशी, श्रीमती शालिनी शर्मा, पामगढ़ से निधिलता जायसवाल, रश्मि तिवारी, बम्हनीडीह से उदिता सिंह, उर्मिला कंवर, अकलतरा से विजय लक्ष्मी चंदेल, नेहा मरावी, बलौदा से संगीता सोनी, कंचनलता साव, डभरा से चमेली यादव, उषा चौहान, जैजैपुर से रंजीता राज, एलेक्सिया मिंज, मालखरौदा से शशिलता उरांव, शर्मिली मिंज, सक्ती से नीरा साहू व प्रिया दुबे शामिल रही। उक्त सभी शिक्षिकाएं बीआरजी के रूप में अपने-अपने ब्लाक में प्रशिक्षण प्रदान करेंगी जिसके बाद संकुल व स्कूल स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा।
संभाग स्तरीय कार्यशाला में बच्चों की उपलब्धि में सुधार के लिए माताओं का योगदान लिया जाना सुनिश्चित किया गया। कार्यशाला में बताया गया कि इस कार्यक्रम को राष्ट्रीय स्तर पर स्काच आवार्ड से भी नवाजा गया है। राज्य में अभी तक पिछले दो वर्षों में इस कार्यक्रम से तीन लाख से अधिक माताएं सक्रिय रूप से जुड़ चुकी हैं। इसी कड़ी में सभी प्राथमिक शालाओं में माताओं को इस कार्यक्रम से जोड़ते हुए ‘एक्टिव मदर कम्युनिटी’ का गठन किया जाये। इसमें सहयोग के लिए पूर्व में चयनित स्मार्ट माताओं और बड़ी कक्षा में अध्ययन करने बच्चों को अपनी टीम में शामिल किया जाएगा। ‘एक्टिव मदर कम्युनिटी’ में प्राथमिक कक्षाओं में अध्ययन कर रहें बच्चों की माताओं के साथ-साथ शाला प्रबंधन समिति में शामिल माताएं, शिक्षा में रूचि लेने वाली महिलाएं, स्व-सहायता समूह में शामिल महिलाओं को शामिल करने का प्रयास किया जाये।
इनके माध्यम से घर में बच्चों की पढ़ाई के लिए सक्रिय रखा जायेगा साथ ही ग्रीष्म कालीन अवकाश में बच्चों को घर पर सीखने-सिखाने के लिए योजना बनाई जा सकेगी। गांव में स्थानीय स्तर पर ‘अंगना म शिक्षा’ मेलों का आयोजन कर ‘पढ़ई तिहार’ का आयोजन करने के लिए सामुदायिक सहभागिता सुनिश्चित की जाएगी। ग्रीष्मकालीन अवकाश के एक सप्ताह पहले से ही स्कूल में शिक्षकों से बच्चों को कैसे और क्या-क्या सिखाना है, आदि तय कर, पढ़ाने का तरीका समझ कर, स्कूल के माध्यम से आवश्यक पठन सामग्री, पुस्तकालय से पुस्तकों की व्यवस्था से लेकर अन्य उपयोगी शिक्षण सामग्री स्कूल से लेकर सीखने-सिखाने का कार्य जारी रखा जाएगा।